अनंतनाथ जिनराज का,
कूट स्वयंभू जेह ।
मन वच तन कर पूजहूूँ,
शिखर सम्मेद यजेह ।।
ओं ह्रीं श्री अनंतनाथ जिनेंद्रादी मुनी ९६ कोड़ा कोड़ी ७० करोड़ ७० लाख ७० हजार ७०० मुनी इस कूट से सिद्ध भये तिनके चरणारबिंद को मेरा मन वचन काय से मेरा बारंबार नमस्कार हो ।